सत्संग " ----- - सत्संग वह आईना है

जहाँ पर ' सत्संगी ' अपने अवगुणों को देख  कर  सुधारने  की कोशिश करता है।


और उसकी कोशिश ही उसे एक
दिन ' गुरमुख ' बना देती है।
इंसान का खुद का सुधरना भी किसी सेवा से कम नहीं है।


🙏🏻🌹सतनाम् वाहेगुरु🌹🙏🏻